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Kavita Krishnamurthy Exclusive Interview: सुरों की दुनिया में लता की परंपरा को आगे ले जाती आवाज़ हैं कविता कृष्णमूर्ति

संगीत एक ऐसी भाषा है जो न सीमाएं जानती है, न धर्म, न ही कोई भौगोलिक दायरा. हमारी ये मुलाकात ऐसी ही एक प्रतिष्ठित गायिका से है जिन्होंने हिंदी फिल्म संगीत से लेकर शास्त्रीय संगीत तक...

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Kavita Krishnamurthy Exclusive Interview सुरों की दुनिया में लता की परंपरा को आगे ले जाती आवाज़ हैं कविता कृष्णमूर्ति
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संगीत एक ऐसी भाषा है जो न सीमाएं जानती है, न धर्म, न ही कोई भौगोलिक दायरा. हमारी ये मुलाकात ऐसी ही एक प्रतिष्ठित गायिका से है जिन्होंने हिंदी फिल्म संगीत से लेकर शास्त्रीय संगीत तक, और देश-विदेश में मंचों पर अपनी सुरमयी आवाज़ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है. हाल ही में मैगजीन की पत्रकार छवि शर्मा ने उनसे बातचीत की. आइये जानते हैं, उनसे बातचीत के कुछ मुख्य अंश.

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सबसे पहले तो हम यह जानना चाहेंगे कि संगीत से आपका जुड़ाव कैसे शुरू हुआ?

जब मैं दिल्ली में थी, तब मेरा जुड़ाव संगीत से हुआ. मेरा परिवार एक साउथ इंडियन परिवार है, और मेरे चाचा-चाची बंगाली हैं. सभी जानते हैं कि दक्षिण भारतीय और बंगाली परिवारों में संगीत के प्रति गहरी रुचि होती है. इसके अलावा मेरे गुरु सुरमा बसु और बलराम पुरी जी ने भी मेरी संगीत में रुचि को और प्रगाढ़ किया. मेरे पिता से भी मुझे संगीत के संस्कार मिले.

क्या आपको याद है जब आपने पहली बार स्टूडियो में गाना रिकॉर्ड किया था? वह अनुभव कैसा था?

जी हां, मेरा पहला गाना 1985 में आई फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ के लिए था. इस गाने को गाकर मैं बेहद खुश थी. यह फिल्म 1973 की "आ गले लग जा" का रीमेक थी. उस दिन स्टूडियो में जो अनुभव हुआ, वह आज भी मेरे दिल में ताजा है.

आपने हिंदी फिल्मों के लिए कई हिट गाने गाए हैं, क्या कोई ऐसा गाना है जिसे आप अपने करियर का टर्निंग पॉइंट मानती हैं?

फिल्म "मिस्टर इंडिया" का गाना "हवा हवाई" मेरे दिल के बेहद करीब है. इसी फिल्म का एक और गाना "करते हैं हम प्यार" भी मुझे बहुत पसंद है. ये दोनों गाने मेरे करियर के अहम मोड़ साबित हुए.

आपका अलग-अलग संगीत निर्देशकों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? क्या किसी खास संगीत निर्देशक से आपको विशेष जुड़ाव रहा?

मैं किसी एक संगीत निर्देशक का नाम नहीं लेना चाहूंगी, क्योंकि सभी के साथ काम करने का अनुभव बेहद enriching रहा है. लेकिन हाँ, कुछ ऐसे संगीत निर्देशक ज़रूर होते हैं जिनके साथ बार-बार काम करने की इच्छा होती है.

आपके लिए क्लासिकल बेस और फिल्मी गीतों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण रहा?

क्लासिकल और फिल्मी गीत दोनों ही भले ही अलग हों, लेकिन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. दोनों की अपनी-अपनी गरिमा और महत्व है. चूंकि मैं बचपन से संगीत से जुड़ी रहीहूँऔर क्लासिकल संगीत सीखा है, इसलिए मेरे लिए यह संतुलन बनाए रखना अपेक्षाकृत सहज रहा, हालांकि यह एक निरंतर अभ्यास का परिणाम है.

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आप विभिन्न भाषाओं में भी गा चुकी हैं — क्या अलग-अलग भाषाओं में भावनाओं को अभिव्यक्त करना मुश्किल होता है?

संगीत की अपनी एक भाषा होती है, वह किसी भी भाषा में गाया जाए उसके श्रोताओं तक इनकी मूल भावना पहुँच ही जाती है और मुझे लगता कि अपनी भावनाओं को संगीत के द्वारा किसी तक पहुँचाना सबसे असरदार माध्यम है.

आपके जीवनसाथी डॉ. एल. सुब्रमण्यम स्वयं भी विश्वविख्यात वायलिन वादक हैं, आप दोनों का संगीत में सहयोग किस तरह होता है?

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मैं खुद को इस मामले में बेहद सौभाग्यशाली मानती हूँ. हम दोनों ने मिलकर कई संगीत समारोहों में हिस्सा लिया है. ज़रूरत पड़ने पर हम एक-दूसरे को सुझाव देते हैं और एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं.

आप पहलगाम आतंकी हमले के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

मैं बेहद दुखी हूँ. जब यह घटना हुई, तब हम सभी आहत और स्तब्ध थे. मेरी संवेदनाएं उन सभी परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपनों को खोया. एक देशभक्त नागरिक के तौर पर मैं अपनी सरकार के हर निर्णय का समर्थन करती हूँ. मैं प्रधानमंत्री और सरकार का सम्मान करती हूँ.

जब-जब ऐसे हमले होते हैं, पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने की बात कही जाती है. इस पर आपका क्या विचार है?

Singer Kavita Krishnamurti shared her opinion on calls for ban on Pakistani artists in light of Pahalgam terrorist attack. I feel...music has no language or barriers, it's all about seven notes, she said. But at the same time, there is enough talent in India...Indian artists are waiting for right opportunities so why not give it to them also, Kavita added.

संगीत की कोई सीमा नहीं होती. अगर कोई कलाकार प्रतिभाशाली और लोकप्रिय है, तो उसकी सराहना होनी चाहिए. व्यक्तिगत रूप से मैं मानतीहूँकि संगीत का कोई धर्म नहीं होता. लेकिन भारत में भी अपार प्रतिभा है, जिसे पहचानने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में सराहा गया है, और यह सिलसिला शायद जारी भी रहे. लेकिन भारतीय कलाकारों को उचित अवसर देना आज के समय की ज़रूरत है.

आप उन युवा गायकों को क्या संदेश देना चाहेंगी जो फिल्म या शास्त्रीय संगीत में करियर बनाना चाहते हैं?

युवा गायकों के लिए मेरा यही संदेश है कि यदि आप फिल्म या शास्त्रीय संगीत में करियर बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने रियाज़ को प्राथमिकता दें. संगीत केवल प्रतिभा का नहीं, बल्कि अनुशासन, निरंतर अभ्यास और धैर्य का क्षेत्र है. फिल्म संगीत में जहां विविधता और लचीलापन जरूरी होता है, वहीं शास्त्रीय संगीत में गहराई और तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है. अपने गुरु का मार्गदर्शन लें, प्रतिदिन कुछ नया सीखने का प्रयास करें और कभी हार न मानें. सफलता समय लेती है, लेकिन यदि आपका समर्पण सच्चा है, तो आपकी आवाज़ एक दिन ज़रूर सुनी जाएगी.

संगीत की दुनिया में खुद को स्थापित करना आसान नहीं, लेकिन लगन, मेहनत और समर्पण से हर सपना पूरा हो सकता है — कविता कृष्णमूर्ति इसकी जीवंत मिसाल है. उनके अनुभव, विचार और संदेश नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रेरणा देने वाले हैं.

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